Tuesday, October 15, 2019

تعرف على العادات الغريبة لشعوب الغرب في المراحيض

يقول الإعلامي الساخر باسم يوسف في أول عروضه في المملكة المتحدة: "نحرص نحن العرب عند حزم أمتعتنا على أن نضع ثلاثة أشياء في الحقيبة، جواز السفر وبعض المال، ورشاش المياه المحمول أو الشطاف" وأردف قائلا: "أنتم من أكثر البلدان تقدما في العالم، لكن عندما نتحدث عن المؤخرة، أنتم متأخرون".
ويوافقه الرأي الكثيرون، إذ لا يزال شغف سكان الكثير من الدول الغربية باستخدام المناشف الورقية للتنظيف بعد قضاء الحاجة بدلا من الماء، مثار حيرة ودهشة حول العالم.
ومما لا شك فيه أن المياه أكثر فعالية في إزالة الفضلات والأوساخ مقارنة بالورق. فتخيل أن تزيل آثار صلصة الشيكولاتة من على جلدك بالمناديل وحدها.
ورغم أن المناديل أقل خشونة من الخزف الذي كان يستخدمه الإغريق للتنظيف بعد قضاء الحاجة أو أكواز الذرة التي كان يستخدمها المستعمرون الأمريكيون لنفس الغرض، إلا أن المياه أخف وقعا على الجلد من أكثر المناديل الورقية نعومة.
ولا تزال بعض الدول الغربية تفضل استخدام المياه على المناشف الورقية. ومن المعروف أن الفرنسيين هم أول من ابتكر وعاء المرحاض المزود برشاش المياه، رغم أنه يكاد يختفي الآن من المراحيض الفرنسية، لكنه لا يزال منتشرا في معظم المراحيض الإيطالية والأرجنتينية، وحتى في فنلندا يستخدمون خراطيم المياه.
لكن أكثر الدول الغربية، بما فيها المملكة المتحدة والولايات المتحدة، تعتمد على المناشف الورقية في التنظيف بعد قضاء الحاجة. وتقول المؤرخة باربرا بينر في كتابها "المرحاض"، إن هاتين الدولتين هما الأكثر تأثيرا على عادات النظافة الشخصية وتصميمات المراحيض العصرية حول العالم.
لكن بعض الدول رفضت الانصياع لعادات النظافة الشخصية الغربية، وظلت تفضل المياه على المناشف الورقية، كما هو الحال في الدول ذات الأغلبية المسلمة، لأنه ينبغي الاستنجاء بالماء وفقا لتعاليم الدين الإسلامي، وإن كانت رئاسة الشؤون الدينية التركية أصدرت فتوى في عام 2015 تجيز استخدام المناشف الورقية إذا غاب الماء.
وطورت اليابان مراحيض ذكية مزودة بذراع آلي متطور لرش المياه بعد قضاء الحاجة ثم التجفيف بالهواء الساخن.
وأجرى زول عثمان، مدير أحد المشروعات لدى الحكومة الأسترالية، أبحاثا عن الانطباعات الثقافية والتاريخية حيال المراحيض. وخلص أحد أبحاث عثمان إلى أن بعض المسلمين الأستراليين تأقلموا مع المراحيض الغربية باستخدام المناديل الورقية جنبا إلى جنب مع آواني المياه أو تركيب خراطيم المياه "الشطاف" بجوار مقعد المرحاض.
لكن هذا لا يقتصر على ذوي الخلفيات الدينية وحدهم، إذ تقول أثا غارغ، المتخصصة في علوم البيانات من مومباي وتعمل في منطقة خليج سان فرانسيسكو، إنها كانت تبحث في كل مكان عن إناء خاص بالمرحاض، يشبه إناء "الكوز"، ووجدته في النهاية في متجر هندي.
وتقول: "بعض الهنود اعتادوا على استخدام المناشف الورقية، لكن الكثير منا يتمسك بالمياه، حيثما أمكن. وعندما أزور صديقا هنديا في الولايات المتحدة، أتوقع أن يكون لديه قارورة مياه بلاستيكية أو إناء بجوار المرحاض، حتى لا أستخدم المناشف".
ولاحظ عثمان إصرار بعض الغربيين على استخدام أي شكل من أشكال الورق من باب التعنت، إلى حد أن أحد أصدقائه في المملكة المتحدة، استخدم ورقة بنكنوت قيمتها 20 جنيها إسترلينيا لتنظيف نفسه بعد قضاء حاجته، بعد أن نفدت المناديل الورقية.
وعندما انتقل كايسر كو، عازف غيتار ومقدم برامج إذاعية عبر الإنترنت، مع عائلته من بكين إلى الولايات المتحدة، اكتسبوا، كشأن الكثير من الوافدين الجدد إلى الغرب، بعض العادات الأمريكية إلى جانب الصينية.
وتفاجأ كو من كميات المناشف الورقية التي استهلكها أطفاله لمحاكاة أصدقائهم في الولايات المتحدة، التي تعد أكبر مستهلك للمناشف الورقية في العالم.
وتشير غارغ أيضا إلى التكاليف البيئية والمالية لاستخدام المناشف الورقية، وتقول إنها تتسبب في انسداد المراحيض، وتعتقد أنها مصدر مشاكل السباكة المنتشرة في معظم مراحيض الولايات المتحدة.
ويعود انتشار ورق المراحيض إلى الحملات الدعائية المكثفة التي دشنها المصّنعون الأمريكيون في القرن العشرين لحض الناس على استخدام أنواع معينة منها.
وتستخدم عائلة كو الآن المناديل المبللة، وهو نوع من الاعتراف الأمريكي بأن المياه أكثر فعالية في التنظيف، كما هو معروف في الدول الأخرى منذ قرون.
في عهد الإمبراطور هان، من عام 206 ق.م إلى 220 ميلاديا، كان يستخدم نوعان من المراحيض، إحدهما على هيئة مقاعد والآخر عبارة عن حفر في الأرض، وإن كانت الأخيرة التي يجلس عليها المرء في وضع القرفصاء هي الأكثر انتشارا في المراحيض العامة في الصين الآن.
وتشير التقديرات إلى أن ثلث سكان العالم يجلسون القرفصاء عند التبرز، ورغم ذلك لا يزال الكثير من الغربيين يتمسكون باستخدام الكرسي الخزفي بدلا من المراحيض الأكثر ملائمة وسلاسة التي تسمى "مراحيض القرفصاء".
وعلى عكس المراحيض الغربية، فإن التلامس بين الجلد والمرحاض محدود للغاية في مراحيض القرفصاء. وذكرت الغالبية العظمى من النساء البريطانيات في أحد استطلاعات الرأي أنهن يجلسن القرفصاء فوق مقعد المرحاض الغربي حتى لا يلامس المقعد جلدهن.
وينصح الأطباء بجلوس القرفصاء عند التبرز، لأن زاوية الشرج تتسع وتسمح بمرور البراز بسلاسة، كما تسرع جلسة القرفصاء حركة الأمعاء وتقلل الضغط عليها، علاوة على أنها تسهم في تقوية عضلات الأرداف والكاحل والمفاصل وزيادة مرونتها.
وحوّل الأمريكيون وقت قضاء الحاجة إلى وقت للراحة، وانتشرت كتب عديدة للقراءة أثناء قضاء الحاجة، تتضمن نكات وقصص قصيرة، وهذا يثير دهشة كو، الذي يقول إن جميع الآباء الصينيين ينصحون أبناءهم بعدم القراءة في المرحاض لئلا يصابوا بالبواسير.
وتضع عائلة كو مسندا للقدمين أمام مقعد المرحاض كحل بديل لمحاكاة جلسة القرفصاء أثناء قضاء الحاجة والتكيف مع المراحيض الغربية.
وتخيرّ بعض المناطق الناس بين استخدام المراحيض الغربية التي تشبه الكرسي أو مراحيض القرفصاء. ويقول عثمان إن ثلث المراحيض العامة تقريبا في مناطق التسوق في مسقط رأسه ماليزيا، مراحيض قرفصاء.

عادات الاستحمام الغريبة

تختلف عادات الاستحمام أيضا من بلد لآخر. وتقول إليزابيث شوف، عالمة اجتماع بجامعة لانكاستر وتجري أبحاثا عن المياه واستهلاك الطاقة، إن الاستحمام اليومي أصبح أمرا مفروغا منه في المجتمعات الغربية.
وقد يعزى ذلك إلى انتشار الحملات الإعلانية عالميا لمنتجات التنظيف في أعقاب الحروب العالمية، مثل صابون الفينول في زيمبابوي وصابون العاج في الولايات المتحدة. وهذا الدعاية التي أطلقها مصنعو الصابون ارتبطت بزيادة الإقبال على الاستحمام المتكرر.
وتشير شوف إلى أن معظم البريطانيين منذ جيلين فقط، كانوا يستحمون مرة واحدة أسبوعيا، في حين أن الاغتسال اليومي أصبح معتادا في الغرب في الوقت الراهن.

Thursday, April 18, 2019

सीटों पर मतदान जारी, तमिलनाडु में पोलिंग बूथ पर एक मतदाता की मौत

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में गुरुवार को देश भर के 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 95 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं.
दूसरे चरण में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के सीटों पर मतदान हो रहा है.
इरोड ज़िले में एक मतदाता की मौत हो गई है. 63 वर्षीय मुरुगेसन वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ पर ही बेहोश हो गए. डॉक्टरों ने उनकी जांच कर उन्हें मृत घोषित कर दिया.
तमिलनाडु में कुल 39 सीटें हैं लेकिन गुरुवार को 38 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं. तमिलनाडु की वेल्लोर सीट पर भी दूसरे चरण में ही मतदान होने थे, लेकिन चुनाव आयोग की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति ने इसे रद्द कर दिया.
डीएमके नेताओं के पास भारी मात्रा में नक़दी बरामद होने के बाद चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से चुनाव को रद्द करने की सिफ़ारिश की थी.
चुनाव आयोग का कहना था कि ऐसा मालूम पड़ता है कि वोटरों को प्रभावित करने के लिए पैसे का प्रयोग किया गया है.
आयोग की इस सिफ़ारिश को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर ली. हालांकि, चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वेल्लोर लोकसभा सीट के तहत आने वाले अंबुर और गुदियत्तम विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव के लिए पहले से तय कार्यक्रम के तहत 18 अप्रैल को मतदान होगा.
तमिलनाडु के शिवगंगा से पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं. इस सीट से पी चिदंबरम सात बार सांसद रह चुके हैं. पिछले आम चुनाव में कार्ति यहां से चुनाव हार गए थे.
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. पहले चरण में बिहार की चार सीटों पर मतदान हो चुका है जबिक दूसरे चरण में पांच सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. ये हैं किशनगंज, कटिहार, पुर्णिया, भागलपुर और बांका.
कटिहार और किशनगंज पर सबकी नज़र है. कटिहार से कांग्रेस के तारिक़ अनवर मैदान में हैं. तारिक़ अनवर हाल ही में एनसीपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए थे.
बिहार के किशनगंज सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. लगभग 67 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता वाली ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन पहली बार असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के उम्मीदवार से कांग्रेस को कड़ी टक्कर मिल रही है.
अगर ओवैसी की पार्टी ये सीट जीत जाती है तो हैदराबाद के बाहर लोकसभा में ये उनकी पहली जीत होगी.
पुर्णिया से उदय सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उदय सिंह पुर्णिया से बीजेपी के सासंद रह चुके हैं लेकिन 2014 में वो जनता-दल के उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे. 2014 में नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच गठबंधन नहीं हुआ था. हाल ही में उदय सिंह कांग्रेस में शामिल हुए थे.
उत्तरप्रेदश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. दूसरे चरण में यहां की आठ सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. ये सीटें हैं नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फ़तेहपुर सिकी.
नमें से मथुरा सीट पर सभी की नज़र रहेगी. यहां से भाजपा उम्मीदवार और अभिनेत्री हेमा मालिनी चुनावी मैदान में हैं.
वो यहां से सांसद हैं और दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. उनके ख़िलाफ़ आरएलडी के कुंवर नरेंद्र सिंह और कांग्रेस के महेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं.
दूसरे चरण में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के भाग्य का भी फ़ैसला होगा. वो फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ रहे हैं.
कर्नाटक की कुल 28 सीटों में से 14 सीटों पर गुरुवार को वोट डाले जा रहे हैं. 2014 में बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं, कांग्रेस ने 9 और जेडी-एस ने दो सीटें जीती थीं. 2014 में कांग्रेस और जेडी-एस अलग अलग चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती 17 सीटों को बचाए रखना है. इस चरण में बैंगलुरु की सभी चारों सीटों के अलावा मांडया सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. मांडया से पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते और मौजूदा मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी के बेट निखिल चुनाव लड़ रहे हैं और उनको चुनौती दे रही हैं बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुमलता अंबरीश.
फ़िल्म अभिनेता प्रकाश राज बैंगलुरु सेंट्रल से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के तेजस्वी सुर्या सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से एक हैं जो बैंगलुरु दक्षिण से मैदान में हैं.
असम में कुल 14 सीटें हैं लेकिन दूसरे चरण में वहां की पांच सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. पहले चरण में पांच सीटों पर मतदान हो चुके हैं. इस चरण में सिलचर, करीमगंज, मंगलदोई, नौगांव, और ऑटोनोमस डिस्ट में मतदान हो रहे हैं. 2014 में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और सात सीटें जीती थीं. उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने दम पर सरकार बनाई थी. बीजेपी को इस राज्य से बहुत उम्मीदें हैं.
वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल के अनुसार छत्तीसगढ की तीन सीटों महासमुंद, राजनांदगाँव और कांकेर में सुबह 10 बजे तक 10.45 प्रतिशत मतदान हुए.कांकेर और राजनांदगाँव माओवाद प्रभावित इलाक़े हैं. राजनांदगाँव पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके सांसद बेटे अभिषेक सिंह का गृह ज़िला है. इसलिये चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की नज़र राजनांदगाँव पर बनी हुई है.

Tuesday, March 19, 2019

كيف تعاني بريطانيا من نقص المياه رغم غزارة الأمطار؟

عندما نتحدث عن ندرة المياه فإن آخر مكان قد يتبادر للذهن على سطح الأرض هو إنجلترا التي تهطل عليها الأمطار دون انقطاع للدرجة التي تجعل التربة تبدو وكأنها مشبعة بالمياه دائما. كما تفيض خزانات المياه بالحدائق ولا يلزم اللجوء لمخزونها حتى شهر أبريل/نيسان.
لكن بعد أشهر قليلة، تنضب خزانات المياه بالحدائق، إذ يتوزع جزء كبير من الأمطار بالمملكة المتحدة على المرتفعات الإسكتلندية وويلز وشمال إنجلترا.
وعلاوة على ذلك، يتركز السكان بجنوب شرقي بريطانيا، حيث يعيش نحو 18 مليون نسمة على مساحة لا تتجاوز 19 ألف كيلومتر مربع، وهي المنطقة التي تضم العاصمة لندن في نطاق تنضب مياهه بشكل متسارع.
وقد شهد العام الماضي انخفاض متوسط سقوط الأمطار في إنجلترا لستة أشهر متتالية، وهو ما أدى لتدنى منسوب المياه بالخزانات العامة لمستويات خطيرة. ولم تكن هذه هي المرة الأولى التي يحدث فيها ذلك، فقد شهد 2017 عشرة أشهر كانت الأشد جفافا في المنطقة منذ أكثر من 100 عام.
وتُظهر أحدث خطة اعتمدتها الحكومة للاستفادة بالمياه أنه لا يجري تعويض 28 في المئة من المياه المستنفدة من خزانات المياه الجوفية و18 في المئة من الأنهار والمستودعات الأخرى في انجلترا، بينما يُصنف 17 في المئة فقط من أنهار إنجلترا على أنها "في وضع بيئي جيد".
ومع ذلك، لا يدرك كثير من البريطانيين أن بلادهم تعاني من مشكلة نقص المياه. وتُستخدم النسبة الأكبر من المياه العذبة بالمملكة المتحدة (55 في المئة) للاحتياجات المنزلية، في حين يجري تخصيص واحد في المئة فقط لقطاع الزراعة.
ويستخدم المواطن البريطاني في المتوسط 150 لترا من الماء يوميا، يستهلكها في الاستحمام والمراحيض وغسالات الأطباق وغسيل الملابس وري الحدائق، مقابل ما يتراوح بين 50 و70 لترا يوميا للمواطن في كيب تاون، رغم أن متوسط سقوط الأمطار سنويا في هذه المنطقة يصل أقل من نصف ما تشهده إنجلترا.
وتقول هانا فريمان، مسؤولة التنسيق الحكومي بجمعية "وايلدفاول آند وتلاندز تراست" المعنية بحماية الطيور والمسطحات المائية الطبيعية، إن "الناس لا يرون أن هناك حاجة لتوفير الماء، باعتبار أن بلادنا تهطل فيها الأمطار بغزارة، لكن أحدث توقعات التغير المناخي تشير إلى احتمالات هطول الأمطار بمعدلات أقل بنسبة تصل إلى 50 في المئة خلال فصل الصيف في السنوات المقبلة".
وعلاوة على ذلك، أصبحت درجة الحرارة في فصل الشتاء في بريطانيا أعلى من معدلاتها السابقة، إذ وصلت درجة الحرارة في شهر فبراير/شباط 21.2 درجة مئوية في لندن، وهي أول مرة تتجاوز فيها درجة الحرارة 20 درجة مئوية في فصل الشتاء. وشوهد البريطانيون وهم يرتدون السراويل القصيرة ويستلقون للاستمتاع بأشعة الشمس بالحدائق العامة بدلا من ارتداء الملابس الثقيلة في هذا الشهر.
وتمثل إنجلترا حالة جديرة بالدراسة لبلد مطير يتعين عليه الحذر من مواجهة نقص محتمل في المياه مستقبلا. ويقول كونر لينستد، الخبير الدولي للمياه العذبة بالصندوق العالمي للطبيعة، إن دولا كثيرة "بدأت تعاني الآن من نقص المياه بسبب استنفاد مواردها المائية لعدم تنبهها لضرورة الاعتماد على آليات مناسبة لاستهلاك المياه. وستصبح مواسم الجفاف التي كانت استثنائية أمرا معتادا جراء التغير المناخي".
ولم يصدق العالم في عام 2014 أن المياه كادت تنعدم بمدينة ساو باولو بالبرازيل - البلد الذي يمتلك ما يتراوح بين 12 و16 في المئة من إجمالي المياه العذبة في العالم - خلال أسوأ موجة جفاف في تاريخ البلاد. إذ انخفض المخزون الرئيسي لكبرى مدن البرازيل ليصل إلى ثلاثة في المئة فقط من سعته.
وفي أغسطس/آب 2018 انخفض منسوب نهر الدانوب العظيم في المجر إلى حد قياسي ناهز نصف المتر، وهو ما اضطر السلطات لوقف المراكب السياحية وحركة نقل البضائع نهريا.
وتصنف الهيئة البريطانية للبيئة منطقة لندن ومحيط التيمز باعتبارها "تشهد ضغطا خطيرا على المياه". ويقول ستيف تاك، وهو مسؤول استخراج الماء بشركة "تيمز ووتر" للمياه: "منشآت تخزين المياه لدينا صغيرة نسبيا، وهو ما يعني أننا نحصل على المياه من الأنهار وطبقات الأرض مباشرة لخدمة التركز السكاني الكبير بالمنطقة".
ويشير تاك إلى أن ما يُستخرج يذهب مباشرة لسد حاجة السكان دون وجود فائض في أغلب الأحيان. ورغم أن ارتفاع معدل الأمطار في الشتاء عادة ما يكفي لتعويض المستخرج من الماء، فقد تفاقمت المشكلة نتيجة زيادة الاستهلاك المنزلي وتنامي السكان وقلة المطر في الصيف.

Wednesday, January 30, 2019

鹿泉:水泥小镇能否破土重生?

祁花花宽松的衬衫上写着企业口号“自然的世界,你的我的”  。公司并不要求她必须穿这个上班,但她喜欢穿这件“工作服”。

她打工的食草堂是位于中国河北省石家庄市鹿泉区的一家日用品和皮具品制造企业,但祁花花和其他百余位工友显然不像刻板印象中的制造厂女工,各个倒颇有艺术家的气质,在宽敞的工作台做着手工。

这个工厂区是一个类似北京798艺术园区的“工业旅游区”。从前的工厂厂房被改造成餐厅、画廊、工艺品店,而鹿泉曾经最大的工业部门是水泥制造。

“水泥小镇那是二十多年前的定位了,现在鹿泉的定位是省会西花园”,鹿泉本地人郭晓番告诉中外对话。他是当地一个旅游产品博览会的志愿者。

不过,在食草堂这样耀眼的城市名片之后,一整座水泥重镇向休闲旅游业转型跋涉的过程是艰难的。而类似食草堂的新业态究竟能否承接、能承接多少曾经捆绑在雾霾制造链条上的产业工人,仍然是一个未知数。

而中国生产了世界四分之三的水泥和将近一半的粗钢。在政府治理大气污染、整顿重工产业的背景下,无数的鹿泉将要面对不确定的未来。 2013年9月,在空气质量严重威胁公众健康、形成强大政治压力的背景下,中国政府开始“向污染宣战”,而头号战场就是京津冀地区。

煤炭,以及消耗大量煤炭和能源又释放大量粉尘和废气的重工业,被认为是中国空气污染最大的来源。十三五期间(2016-2020年),中国要淘汰1亿吨钢铁产能;2018年到2020年,中国要淘汰3.9亿吨水泥产能,关闭540家水泥企业。这意味着生产了中国四分之一钢铁的建材大省河北面临空前的治理压力。

最终,河北省决定,“大气十条”期间,河北制定并执行严于国家的环境标准。2013年到2017年,全省累计压减炼钢产能6993万吨,这个数字超过地球上绝大多数国家全国的炼钢产能。

鹿泉区政府工信局崔振红介绍说,大概2007年鹿泉就开始了政府引导下的水泥厂转型,2012年仅仅用了半年时间就拆了五十多家水泥厂,2013、2014年又接着拆掉了二十多个。

几轮去产能下来,如今的鹿泉仅剩下三家水泥厂。

好空气的代价

“之前走到哪里都是一层灰,空气里可都是粉尘,还呛人呢,把水泥厂陆陆续续关掉之后才慢慢好起来。”在当地居民郭晓番看来,水泥厂的离开带来了肉眼可见的环境改善。

但也有很多人成为了去产能运动的失意者。52岁的鹿泉牛山村村民张春英受到治霾关厂的影响,和爱人两口子都没了工作,在她看来,所谓“去产能”就是“关厂子”,就是“丢饭碗”,她觉得自己还有浑身的力气,但就是挣不上给儿子盖婚房的钱。同村的张密娟也有两年没有活干了,她说,“如果有工作,不管挣得多挣得少,两口子之间就不会吵架,两口在家都闲着矛盾当然就多了”。她今年40岁,感觉自己正年轻,还能干很多事,但由于找工作的人很多,多数企业把工作录用年龄卡在35岁。

崔振红表示,最近一轮的关停水泥厂直接影响到鹿泉2000多人的就业,算上交通运输和餐饮等相关产业,就不下万人了。 随着水泥厂的大规模关停,水泥的市价也翻倍了,这个几十年和水泥打交道的家庭承担不起泥瓦房四五十吨水泥的开销。村子里这样因为家庭收入锐减、水泥价格高企而盖不起房子的农户不在少数。而在中国广大的农村地区,新房被认为是结婚的前提条件,牛山村不少超龄青年也因此陷入结不起婚的窘境。

北京师范大学社会发展与公共政策学院副教授杨力超告诉中外对话,在实现转型的过程中,要建立相应的社会制度框架来确保受影响工人群体的工作和生计不受到严重的损害,“这个车子突然刹车,还不系安全带,车里的人就会撞上挡风玻璃,撞得头破血流”。

企业主和政府同样面临难题

水泥厂主张建斌曾经在鹿泉有三家水泥厂,如今只剩一家还在勉力维持。他告诉中外对话,“在2012年之前,政府的思路还是改,按照环保部门的要求做清洁改造,出什么标准我们就上什么设备,但近几年思路就是关”。

鹿泉区宜安镇发展办主任戎建强无奈表示,“不是不让水泥厂改,而是根本改不到现在要求的标准”。 河北省执行严于国家标准的排放限值。以主要的空气污染物二氧化硫为例,按照河北省《水泥工业大气污染物排放标准》,排放限值为50毫克/立方米,是国家规定的上限的一半。

事实上,地方政府把清退水泥产业的冲击比作“壮士断腕”。中央政府为钢铁和煤炭行业的去产能设立了总额1000亿元的专项基金,主要用于人员安置。水泥等其他行业则没有这样的支持。

《经济日报》2014年的调查报道指出,鹿泉、平山两个水泥小镇的水泥去产能共需市县两级财政筹集10.7亿元安置赔偿款。当时的石家庄市副市长郝竹山表示,石家庄市级财政准备了3个多亿,鹿泉、平山两地财政筹备了7个多亿。这对于被迫砍掉原本的支柱产业的区级政府而言,是沉重的负担。

Friday, January 11, 2019

أبل تحصل على براءة اختراع الملابس الذكية

يبدو أن تكنولوجيا المستقبل القريب لن تقتصر على الهواتف التي نحملها إذ تعكف شركة أبل في الوقت الحالي على تطوير ملابس ذكية من شأنها أن تقدم خدمات صحية مهمة.
وبحسب موقع إنفرس فقد حصلت شركة أبل المصنعة لهواتف آيفون على براءة اختراع بشأن الملابس الذكية لكن هذه الشهادة لم تقدم تفاصيل بشأن المشروع الطموح.
ويأتي مشروع الملابس الذكية بعدما وصلت عائدات أبل من الأجهزة القابلة للارتداء مثل الساعات والسماعات إلى أكثر من 10 مليارات دولار خلال عام واحد بحلول سبتمبر الماضي.
وحصلت الشركة الأمريكية على شهادة رسمية من مكتب الولايات المتحدة لبراءات الاختراع والعلامات التجارية الذي يتخذ من العاصمة واشنطن مقرا له.
ولا تكشف الصورة المقدمة لبراءة الاختراع أمورا كثيرة حول
د تطبيق واتساب للتخلي عن بعض الأجهزة القديمة في عام 2019 إذ سيتوقف عن العمل على أجهزة وأنظمة تشغيل معينة.
وسيتوقف واتساب عن العمل في أجهزة iOS 7 والنسخ الأقدم منها بالإضافة إلى  2.3.7  و   40 .
ويعني هذا أن مستخدمي   40 لن يتمكنوا من إنشاء حسابات جديدة على واتساب كما أن بعض مزايا التطبيق قد تتوقف عن العمل في أي وقت حسب ما ذكر موقع  .
وأعلن واتساب عن التواريخ التي سيتوقف فيها عن دعم بعض الأجهزة ففي 31 ديسمبر سيتوقف عن دعم  S40 وفي الأول من فبراير عام 2020 سيتوقف عن دعم  2.3.7 أو النسخ الأقدم بالإضافة إلى iOS 7 أو النسخ الأقدم.
تحكم التلفزيون وألعاب الأطفال أو المصابيح أو أجهزة الحلاقة أو أي نوع آخر من الأجهزة الكهربائية التي تتطلب طاقة كهربائية منخفضة.
وفي كثير من الأحيان تتوقف بعض تلك الأجهزة عن العمل دون أن نعرف أن خللا ما قد أصابها أم أن طاقة البطارية قد نفدت.
وبما أن التحقق من طاقة البطارية بدون وجود أجهزة لقياس الجهد الكهربائي أمر صعب تجدر الإشارة إلى طرق بسيطة يمكن من خلالها التأكد من طاقة البطارية.
في بعض الأنواع الحديثة من البطاريات الجافة والمرتفعة الثمن (1.5 دولار للبطارية الواحدة) يوجد مؤشر يتيح فورا معرفة ما تبقى فيها من طاقة.
وفي هذا النوع من البطاريات يوجد نقطتان عند قطبي البطارية السالب والموجب مع شريط أسود يمتد بين النقطتين.
عند الضغط على النقطتين بشكل متزامن يظهر على الشريط بينهما مؤشر دقيق يظهر باللون الأحمر ما هو متبق من طاقة البطارية كما في الفيديو.
ولكن ماذا لو لم تكن البطارية تحتوي مثل هذا الشريط؟ هناك طريقة بسيطة شرحها المهندس الكهربائي لي هايت ونشرها موقع لايف هاكر المختص بالنصائح المنزلية.
وفي هذه الطريقة للتأكد من البطارية يمكن رفع البطارية حوالي سنتمتر واحد عن سطح صلب وتركها تسقط بشكل عمودي. لو ارتدت البطارية أكثر من مرة فهذا يعني أن طاقتها أوشكت على النفاد.
أما إن لم ترتد البطارية سوى مرة واحدة أو استقرت بشكل عمودي فهذا يعني أنها لا تزال جيدة وصالحة للاستخدام. وكلما زاد عدد مرات ارتداد البطارية كلما أشار ذلك إلى نفاد طاقتها.
أما السبب العلمي لذلك فيعود إلى تكوينة البطاريات الجافة فهي تتألف من مزيج من الزنك والكربون وهي تحول الطاقة عبر تحويل التفاعل الكيميائي بين مكوناتها إلى طاقة كهربائية.
ومن شأن هذا التفاعل الكيميائي أن يؤدي إلى نقص كثافة المواد المشكلة للبطارية وبالتالي يؤدي إلى ارتدادها عند السقوط على سطح صلب.
فكرة الملابس الذكية لكنها توحي بالاعتماد على تقنيات النانو المتقدمة والقادرة على إدخال شاشات بتقنية  في الملابس.
ويرجح خبراء أن تساعد تقنية من هذا القبيل على وضع أجهزة آيباد في كم المعاطف أو في قطع أخرى لأجل الاستفادة من التكنلوجيا إلى أقصى حد.
وكانت أبل قد تقدمت مؤخرا بطلب براءة اختراع لقفازات ذكية وسط توقعات بأن تكون قادرة على جمع بيانات صحية مهمة مثل قياس نبضات القلب وضغط الدم.